
बाबा की बगिया की।
नन्ही सी कली हूं ।।
खिलने को फूल में।
अभी ना बनी हूं।।
मुस्कुराहट से अपनी।
मुस्कुराहट से अपने।।
महकाती बाबा की गली हूं ।
बाबा की बगिया की।।
नन्हीं सी कली हूं।
बाबा की परी हूं मैं।।
छोटी सी कली हूं मैं।।
बाबा की सियासत की।
मल्लिका अलबेली हूं।।
बाबा के बगिया की।
नन्हीं सी कली हूं ।।
इठलाती मुस्कुराती अभी।
थोड़ी सी खिली हूं।।
बाबा के दिल का टुकड़ा।
मैं हीं तो बनी हूं।।
बाबा के बगिया की।
नन्हीं सी कली हूं।।
स्वरचित रचना संध्या सिंह पुणे महाराष्ट्र