“नारी को अबला कहो नही”-“अमन रंगेला”

नारी को अबला कहो नही,
नारी जननी है, शक्ति है।
नारी को और सताओ नही,
ये दुर्गा भी बन सकती हैं।
ये काली भी बन सकती हैं,
ये रौद्र रूप भी धारण कर सकती हैं।
नारी को अबला कहो नही।

नारी के आँचल मे ममता,
गोद मे जिसके जग पलता।
नारी की निंदा करो नही,
ये सबका पालन करती है।
नारी को अबला कहो नही।

देवी को दासी न मानो,
करुणा को छोटा न जानो।
आसूं की ये धारा ही नही,
ये ज्वाला भी बन सकती हैं।
नारी को अबला कहो नही।

कभी लूटी गई,कभी ठुकरी गई,
कभी कुचली गई,कभी जलाई गई।
कभी किसी के हाथो अपनी अस्मत लुटाई गई,
अपमान बहुत सहती आई,
अब और नही सह सकती है
नारी को अबला कहो नही।

नारी अब आगे बढ़ आई,
विधा की सीढी चढ़ आई।
स्वयं अपना भाग्य लिखेंगी ये,
जो भी चाहे कर सकती हैं।
नारी को अबला कहो नही।

इतिहास कहे जिसकी गाथा,
तुझको है नमन शत शत माता।
तुफानो मे धीरज है अटल,
चट्टानों सा बल रखती हैं।
नारी को अबला कहो नही,
नारी जननी है शक्ति है
अगर यह न होती तो हम नही होते,
नारी को अबला कहो नही।
नारी को अबला कहो नही।।

हास्य कवि व्यंग्यकार
अमन रंगेला “अमन” सनातनी
सावनेर नागपुर महाराष्ट्र

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