पापाहमें दिखाई नहीं देते,कहां चले गए पापा?नज़रें तुम्हें ढूंढती हैं,कहां छिपे हो पापा ?तुम्हारी बोली शक्ति थी, क्यों मौन हुए पापा ?बिस्तर बैठे दिखते थे,क्यों खाली है पापा?नया सृजन करती थी,तुम्हें सुनाती थी पापा।नई कविता लिखी है, किसे सुनाऊं मैं पापा ?मां पहले मुस्कुराती थी,अकेले रोती है पापा।बेटियों को देखकर अब,आंसू छिपातीं है पापा।मां चिल्लाकर हर बात,आपको बताती थीं पापा।बिस्तर पर सोचते-सोचते,चुपचाप सोती है पापा।मन घुटन नहीं कहती,खोई रहती हैं पापा।मां सबसे नज़रें बचाकर ,आपका सामान देखतीं पापा।लाख पूछने पर कहतीक्यों गए तुम्हारे पापा?हमे अकेले छोड़कर धोखा,क्यों दिये तुम्हारे पापा?
रेनू मिश्रा ‘सरस्वती’ प्रयागराज उत्तर प्रदेश
