पिता-“उज्ज्वल प्रताप सहायपिता”

वंदन है, अभिनंदन है, मेरे दिल के स्पंदन हैं,
आप दृढ़ संकल्पी, दयावान, इस कुटुम्ब के सच्चे धन हैं।
आप धीरज हैं, आप तीर्थ हैं, हर पहर मेरे, हर धाम मेरे,
कभी शान्त चित्त, कभी जिद्दी वृत्त, इस घर के आप नंदन हैं।

हर मोड़ पर साथ मिला, हर लङखङाहट पे आपका हाथ मिला,
आप परम पूज्य, आप देव तुल्य, आजीवन आपका सुमिरन है।

खुद कितने कष्ट उठा के हमको, पाला-पोसा और बङा किया,
इस दीन-हीन अबोध शिशु को, सामर्थ्य बना के खङा किया।
तज के निज स्वार्थ और सुख, योग्यता भरी हमारे अंदर,
हे जन्मदाता, मेरे विधाता, आपका ही महिमा मंडन है।
वंदन है, अभिनंदन है, आप मेरे दिल के स्पंदन हैं,

हे पिता मेरे, हे गुरु मेरे, आप से ही हम सब उज्ज्वल हैं,
तेजोमंडित हे तात मेरे, सब निर्मल है, हम संबल हैं,
हे जनक आप दिव्यद्रष्टा, दूरदर्शीता निहित है आपमें,
आप हमारे अभिमान-सम्मान और ललाट के चंदन हैं।
वंदन है, अभिनंदन है, आप मेरे दिल के स्पंदन हैं।
करबद्ध निवेदन है ये कि मार्गदर्शन आपका आजीवन मिले,
माँ पदवी सर्वोच्च सही, मेरे अहोभाग्य, आप, त्रिभुवन मिले,
हम बिखरे मोती, आप शक्ति-सूत, एक धागे में हमे पिरोया है,
हे उद्गम, मेरे माता-पिता, इस कुटुम्ब के आप गठबंधन हैं।

वंदन है, अभिनंदन है, आप मेरे दिल के स्पंदन हैं,
दृढ़ संकल्पी, दयावान,इस कुटुम्ब के सच्चे धन हैं।

कवि- उज्ज्वल प्रताप सहाय

1 Comment

  1. Anjali

    To be sincere , I generally don’t like to read, but your content keeps me wanting for more.💕💕

    I have never read a more inspiring poem.😊💕

    Such a masterpiece!!!!😊💕

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