पिता का डर

बड़े कितने भी’ हो जाएं पिता का ड़र नहीं जाता

पिता कर दें मना बेटा कभी लड़कर नहीं जाता

यकीं रखते हैं’ बच्चों पर कभी वह डाँट भी देते

रहें नाराज़ कितना भी, रहा पल-भर नहीं जाता

जहाँ सब लोग मिलकर बैठते थे साथ में हरदम

वहाँ अब एक पंछी भी कभी उड़कर नहीं जाता

जुटाने धन यहाँ सब लोग जीवन भर लगे रहते है’

रहता सब यहीं, इंसान कुछ लेकर नहीं जाता

यहीं सब भूल कर रंजिश, मिटा दें बैर अपनों से ‘

शिवा’ मानो कभी यूँ साथ, में रहबर नहीं जाता।

अभिषेक श्रीवास्तव “शिवा”ग्राम मलगा, जिला अनूपपुर मध्यप्रदेशमोबाईल नम्बर – 6266370425

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