
देव, पिता, को पुनि-पुनि वन्दन।
ओ मेरे भगवान हैं।
सदा उबारे कष्टो से वह,
कितने चतुर सुजान हैं।।
वह है मेरे भाग्य विधाता,
हम उनकी संतान हैं।
जाग रहे वह मैं सो जाती,
कितना रखते ध्यान हैं।
वह मेरे रामायण गीता,
हर निधियों की खान हैं।
मैं हूं एक अकिंचन प्राणी,
वह वेदों का ज्ञान हैं।
तूफानों से लड़ते रहते,
कितने , कुसुम,महान हैं
डा कुसुम चौधरी लखनऊ