
पिता की याद आती है।
बहुत मुझको सताती है।
वही भगवान है मेरा।
वही ईमान है मेरा।
मुझे चलना सिखाया है।
मुझे गोदी उठाया है।
पिता का साथ ना छूटे।
कभी मुझसे ना वह रूठे।
जरा सा हम जो रोये हैं।
पिता मेरे ना सोए हैं।।
(सौरभ कांत बाजपेई )जिला उपाध्यक्ष भारतीय किसान मंच🌾