
वह होती है
बादल की गरज
इंद्रधनू का अचरज
गूंज होती है सागर की
और सरीता प्यार की…
पिता से ही पाते है हम
उम्मीदें जीवन की
सपने भविष्य के
चरागाह जैसे अपनेपन का…
मुश्किल होता है
नापना उनके सच्चे मन को
कृद्ध चेहरे के पिछे
छिपे ममता भरे ऑंगन को…
रूला देते है वे क्षण
जब साया छूट जाए उनका
सुला देते है मन को वे कण
जब साथ टूट जाए उनका…
पिता के पदचिह्न
करते है रक्षा हमारी
उन हर कष्टप्रद मोड पर
उन हर दर्दभरे छोर पर…
आनंद की फुलझडीयाँ होती है
बारीश की पहली बूँद होती है
फूल की पहली सुगंध होती है
पिता की छाया, जीवन की राह होती है…
रचनाकार : संचित कांबळे
कोल्हापूर , महाराष्ट्र
मोबाईल : 9309114492
Nice poem