
उस शख़्स से बस इतना ताल्लुक़ है मेरा, वो परेशान हो तो मुझे नींद नहीं आती——!
अगर उसे ज़रा सी भी तकलीफ़ है, तो मुझे कोई शय नहीं भाती।
क्या नाम देंगे इस रिश्ते को, किस नाम से पुकारूँ मैं उस फ़रिश्ते को ?
हमसफ़र तो नहीं है, शायद हमदर्द है——-क्योंकि उसे उदास देख होता मुझे बहुत दर्द है।
मालूम नहीं कि क्या मैं भी हूँ उसके लिए हूँ एक हमदर्द——उसकी एक झलक पाने के लिए मैंने पार की है दो देशों की सरहद।
देखा है कई बार उसे , लेकिन दूर से——अब उसे गले लगाने के लिए ना जाने क्यूँ हैं हम मजबूर
से ———??
महज़ एक बार उस से हुई थीं आँखें चार, उसकी आँखों में छलकता दिखा था असीम प्यार।
उसे क़रीब से जानने की, उस से गुफ़्तगू करने की दिल में है आरज़ू।
देख उस के चेहरे पर ख़ुशी , मैं बहकने लगता हूँ।
जब उसके होंठों पर आती है हँसी, मैं चहकने लगता हूँ।
या कैसा नाता है , आख़िर ये रिश्ता क्या कहलाता है——-?
क्यूँ उसे खुश देख, दिल बहुत सुकून पाता है——?
देख उसके चेहरे पर मायूसी, मेरी ज़िंदगी में मच जाती है हलचल।
सब कुछ हो जाता है उथल पुथल।
दुआ करो यारो, कि कभी उस से खुल कर मिल पाऊँ मैं।
कोई ऐसा बहाना बन जाये कि उसके गले लग पाऊँ में।
शायद उस सुनहरे पल में मुझे जन्नत का होगा अहसास——ऐसा ना हो कि अत्यधिक ख़ुशी के कारण तब रुक जाये मेरी
साँस——।
ख़ैर, ऐसा अंत भी है मुझे मंज़ूर , क्योंकि फिर अपने हमदर्द की बाहों में मेरा इंतक़ाल होगा
हुज़ूर——-!
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।
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Bhaut badhiya 👌👌✍️✍️