माना के प्रेम अनपढ़ है, ये हस्ताक्षर नहीं करता होगा——-पर हर पढ़ा लिखा इंसान भी प्रेम पाने के लिए अनेकों प्रयत्न करता होगा।
प्रेम छाप अमिट छोड़ता है, क्यूँकि ये दो दिलों को एक अटूट बंदन में जोड़ता है।
अब मजनू कहाँ पढ़ा लिखा था , उसे प्रेम करने का बस आता ही था काम——इसीलिए तो वो लैला लैला पुकारता था सुबह ओ शाम।
ज़्यादा पढ़ाई लिखाई अपने साथ लाती है ज़्यादा समझदारी——और फिर प्रेम प्रीत के रिश्तों पर ना चाहने पर भी चल जाती है कटारी।
अनपढ़ है प्रेम, लेकिन जो इसके चक्कर में पड़ा , वह ख़ुद बख़ुद बन जाता है बुद्धिमान ।
वो बन जाता है एक बहुत महान इंसान।
पूछो क्यूँ, क्यूँकि वो सीख जाता है आध्यात्मिक ज्ञान——इसीलिए तो कहते हैं कि प्रेम उस ईश्वर का भेजा हुआ है वरदान।
जो प्रेम करता है , उसका जागरूक होता है दीन और ईमान, प्रेम सहनशीलता सिखाता है, प्रेम करने वाले को कभी भी नहीं होता अभिमान।
प्रेम, प्रीत , स्नेह और प्यार में हैं महज़ ढाई अक्षर———लेकिन महज़ ये ढाई अक्षर प्रेमी को बना देते हैं साक्षर।
प्रेम है इंसानी रिश्तों की बुनियाद, प्रेम को अनपढ़ ही रखना, उस प्रभु से मैं करता हूँ ये फ़रियाद।
प्रेम अनपढ़ है, फिर भी कचहरी में अनेकों देते हैं अर्ज़ी तलाक़ की———प्रेम ज़्यादा ज्ञानी हो जाता तो शायद ज़िन्दगी हो जाती ख़ाक सी।
प्रेम नहीं करता हस्ताक्षर, लेकिन फिर भी दो प्रेमी अपने ही तरीक़े से कर देते हैं दो दिलों की वसीयत——दो प्रेमी दिल फिर बन जाते हैं एन दूजे की मलकियत।
तो अनपढ़ प्रेम क्या देता है शिक्षा, क्या देता है दीक्षा।
यही , कि किसी काम में भी जल्दी ना करना, करना नतीजे की प्रतीक्षा।
तभी तो दो प्रेमी दिल , समय बीतने के साथ एक अटूट बन्धन में बँध जाते हैं और अलौकिक आनन्द पाते हैं।
ज़्यादा चालाकी, ज़्यादा चतुरता प्रेम को नहीं है भाती , प्रेम है कुछ अजब ढंग से जज़्बाती ।
प्रेम सीधी सादी और सरल भाषा को देता है महत्व, इसीलिए तो सारे विश्व में फैला हुआ है प्रेम का अस्तित्व।
मेरे मौला, प्रेम अनपढ़ ही बेहतर है———अब देखो ना , ये अहसास अनपढ़ है , लेकिन फिर भी है कितना असरदार ।
और एक राज़ की बात बताऊँ, सच्चे प्रेमियों के दिलों में घर करते हैं सिर्फ़ सुविचार——ये प्रेम है एक सच्चाई, है हरेक के जीवन का आधार।
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।
True love ❤️ is there where simplicity is there
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