

बन जा तू मेरा कृष्ण,मैं तेरी राधा बन जाऊं
जीवन बन जा तू आधा मेरा, मैं सांसे आधा बन जाऊं।
न लोक लाज की चिंता हो,न मोक्ष की हो आशा
तू पढ़ता रहे दिन_रात,ऐसी प्रेम गाथा बन जाऊं।
नीला, पीला,हरा,गुलाबी,हैं किसी काम के न मेरे
तुझमें है प्रीत के पूर्ण रंग,मैं जोगन सादा बन जाऊं।
तुझसे चलकर तुझ तक आऊं,तुझमें ही फिर मैं खो जाऊं
निभा लोगे जो तुम रस्में_कसमें,साजन मैं वो वादा बन जाऊं।
बिन दरश,छुअन तरसते व्याकुल मन,कर दुआ हो जल्दी पुनर्मिलन
तू संभाले रखना खुद को सदा,और मैं पागल ज्यादा बन जाऊं।
रजनी प्रभा