बसन्त पंचमी की हार्दिक बधाई-“डॉ.रवीन्द्र कुमार ठाकुर”

आनन्दातिरेक से झूम उठे,
सुप्त प्रकृति एवं जल जीव।
कुसुमोत्सव के मिलन हेतु,
ऋतु सहचरी ऋतुपति प्रीत।।

शिशु चंचलता,युवा अंगड़ाई,
आयु ढलान भी स्फूर्ति पाई।
शीतल – मन्द वायु व सुगन्ध,
दौड़े शिराओं में नवीन तरंग।।

नृत्य गान में भंवरे की उड़ान,
रंग बिरंगी कली भी मुस्काई।
झूम उठे धरती, गाये कोयल,
पीताम्बर ओढ़े खेत खलिहान।।

मदमस्त हवा के झोंके अनन्त,
श्रृंगार में लिपट नहाया बसन्त।
शिथिल होते जड़ता के बंधन,
शरद ऋतु जगे हृदय की उमंग।।

केली सहेली, यूँ करें अठखेली,
सरमाये चम्पा महकती चमेली।
सरोवर मुख में तेरे कमल नैन,
आनंदित आह्ल।दित कहाँ चैन।।

भावुक हृदय को मोहित करता,
सौन्दर्योपासक की परीक्षा लेता।
कवि रवि संग कविता मस्त गाये,
ऋतुराज बन हँसे और मुस्काये।।

  डॉ.रवीन्द्र कुमार ठाकुर
  हि. प्र. पु. से. ( से. नि. )
 स्वतंत्रता सेनानी सदन

गांव व डाकघर कोट , जिला-बिलासपुर
हिमाचल प्रदेश , पिन -174028

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *