
क्या करामात है क़ुदरत की, कोई रो कर दर्द बहलाता है , और कोई हँस कर दर्द छुपाता है ।
ज़िंदा इंसान पानी में डूब जाता ही और मुर्दा तैर कर दिखाता है ।
इंसान की चाहत है कि उसे उड़ने को मिले , और परिंदे सोचते हैं कि उन्हें रहने को घर मिले ।
कई शादीशुदा जोड़े हैं नाख़ुश , तलाक़ चाहते हैं , और कई कुँवारे चाहते हैं कि कोई हमसफ़र मिले ।
कोई सोचत है कि बारिश हो जाए और फ़सल अच्छी हो जाए , और कोई चाहता है कि एक ऐसा ज़लज़ला आए कि ख़ुद बख़ुद आलू ज़मीन से बाहर आ जायें !
अजब है या रब तेरी माया , कोई धूप चाहता है और कोई छाया !
ये पैसा भी क्या चीज़ है , कोई अपनी ही औलाद बेच देते हैं , कुछ पैसा कमाने के लिए ।
और कुछ बेऔलाद लाखों खर्चने को तैय्यार हैं सन्तान पाने के लिए !
एक बेटा अपने माँ बाप की भरपूर सेवा करता है , कामना करता है कि उनकी लम्बी हो उम्र ।
और शादी होने के बाद एक बेटा उनसे बुरा व्यवहार करता है , उसे घर पाने की लालसा है , वो चाहता है कि माँ बाप को जल्दी हासिल हो कब्र !
कोई इसलिए रो रहा है क्यूँकि उसका प्यार उजड़ गया है , और कोई ख़ुशी के आँसू बहा रहा है क्यूँकि प्यार के कारण उसका जीवन सँवर गया है !
कोई शराब पीता है ग़म भुलाने के लिए , और कोई इस क़दर नासाज़ है , शराब पीता है मर जाने के लिए !
कई दम्पति व्रत रखते हैं ताकि उन्हें एक घर के चिराग़ , एक बेटे की हो प्राप्ति ।
और कई बहू और बेटे , सास ससुर को घर से निकाल देते हैं , ऐसी भयंकर होती है उनकी प्रवृति ।
समझ ही नहीं पाया मैं इस अजीब ओ ग़रीब दुनिया को , सरल नहीं है इस दुनिया को समझना , आसान नहीं है किसी को भी परखना !
कवि——-निरेन कुमार सचदेवा।
Today’s world , confuses me lots !!