
भाई चाचा ससुर से
एक बाप का रिश्ता भारी है
चाहे कितना भी सोच लो
बात मेरी ये खरी है
और सारे रिश्ते
नही किसी काम के
पुछे ना खुशाली
बिना कोई दाम के
बाप तो बाप है
उसे डॅडी कहो या पापा
उस के दिल का प्यार
ना जा सके मापा
हमारे हर मुसिबत में
एक वही होता है साथ
दुसरे कर ना सके
उसकी और ही बात
गम में वो खुशी है
दुख में सुखदाता
उसके प्यार के आगे
मुझे और कोई नही भाता
बाप मेरा है सबकुछ
और मै उसका स्वभिमान
वो मोहताज नही
किसी का पाने मान
बाबा तुम शान मेरी
तुम्ही से है जिंदा विश्वास
अन्त तक करु सेवा तुम्हारी
बस जब तक चलें मेरी साँस
वर्षा मारुती भिसे
देवर्षी हाऊ. सोसायटी
रुम नं-102,
नाहूर- पूर्व
मुंबई -400042
Nice
अति सुंदर