तुम्हारे
घर हैं दड़बानुमा
कपड़े हैं एकदम चिथड़े
बीमार होने पर
ढंग का इलाज नहीं
जुल्म-औ-सितम होने पर
मिला नहीं न्याय
खाने को
भरपेट भोजन नहीं
बच्चों को शिक्षा नहीं
रोजगार नहीं
इस सब के बावजूद
बड़ी सिद्दत से
मानते हो भगवान को
डरते हो भगवान से
वह इससे अधिक तुम्हारा
बिगाड़ेगा क्या?
-विनोद सिल्ला