
चेहरे की चमक और घर की ऊँच्चाइयों पर मत जाना, घर के बुज़ुर्ग अगर मुस्कुराते मिलें तो समझ लेना कि आशियाना अमीरों का है।
चेवरे पर तो बनावटी निखार भी हो सकता है , घर आसमान की बुलंदियों को छू सकता है , लेकिन घर के बुज़ुर्ग अगर बदहाल हैं , बेहाल हैं , लाचार हैं तो निष्कर्ष यही है कि आशियाना फ़क़ीरों का है ।
अमीरी , फ़क़ीरी , सिर्फ़ चंद सिक्कों का खेल नहीं है , रईसी सिर्फ़ दौलत से ही नहीं होती , असली रईस वो ही है जिसके आशियाने में लगा हुआ मेला ज़िंदा ज़मीरों का है ।
मानता हूँ कि पैसे की बहुत अहमियत है ,पैसे का बहुत महत्व है ज़िंदगी में , लेकिन हर कोई तो रईस नहीं होता , ये पैसे का खेल तमाशा तो हाथ की लकीरों का है ।
जिनके पास दौलत है वो भी तो अच्छे भाव रख सकते हैं , जिनके पास कम पैसा है वो भी तो अपनी ज़िंदगी बसर करते है ,रईस हो कर कर भी आप एक नेक इंसान हो सकते हैं ,अमीरी या ग़रीबी , ये जादुई करिश्मा तो तक़दीरों का है ।
उस ऊपर वाले ने ही सब का भाग्य लिखा है , सब की क़िस्मत है फ़र्क़ , हम तो सिर्फ़ ख़ुशमिज़ाज और दरियादिल बनने की कोशिश ही कर सकते हैं ,बाक़ी तो खेल तदबीरों का है ।
ज़्यादातर देखा गया है कि अमीर लोगों के दिल छोटे होते हैं ,ग़रीब बाशिंदों के दिल बड़े होते हैं , जो दिखाई देता है असल ज़िंदगी में , वो नतीजा दिलों में उभरती तस्वीरों का है।
इन तस्वीरों को रखो साफ़ सुथरा , ना करो इनको मैला , नहीं होनी चाहिए इन तस्वीरों पर ख़ुदगर्ज़ी और मौक़ापरस्ती की परत ,यही है बड़प्पन , लाज़मी है कि इन तस्वीरों से मासूमियत छलके , शराफ़त छलके , असलियत छलके , क़ाबलियत छलके और हक़ीक़त छलके ।
ख़ुशनसीब हैं आप अगर आप के पास दौलत है , तो मेहेरबानो ये ख़ुशनसीबी बाँट लो , मिलेंगी आपको हज़ारों दुआएँ , सब आपकी इज़्ज़त करेंगे , मान करेंगे , सम्मान करेंगे ।
पैसा आपको शायद उतनी ख़ुशी ना दे पाए , जितनी ख़ुशी मिल पाएगी आपको इन जरूरतमंदों के दिलों से निकली हुई दुआओ से , ये आशीर्वाद आपको ख़ुशनुमा रखेंगे , स्वस्थ रखेंगे , तंदुरुस्त रखेंगे , रखेंगे दूर आपको बीमारी से , दवाओं से ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।
Always be humble and helpful in life .
बहुत ही सुंदर व्याख्या की है आपने सर जी और बहुत ही सुंदर एक लिखा है आपका सच में अपने अच्छा लिखा है आपको ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई