आओ मिलके जीवन की
बगिया को आज महकाते है
सब अपनी बगिया में मिलके
एक प्यार का पौधा उगाते है
हो रही है वसुधरा प्रदूषित
जलवायु में भी थोड़ा थोड़ा
चलो परिवर्तन लाते हैं आओ
मिलके प्यार का पौधा लगाते हैं
हो रही है धरती भी बंजर देखो
पानी की त्राहि त्राहि मची है देखो
मिलके चलो इस धरा में थोड़ा थोड़ा
इस प्यासी धरती को भीगा आते हैं
काट दिए सब घने जंगल भी देखो
चारो और सड़कों का जाल बिछाया है
वातावरण भी हो रहा जहरीला देखो
आज कैसा दिन ये देखने में आया है
आओ मिलके ये संदेश जन जन तक पहुंचाना है
हरा भरा हो देश हमारा अपने पर्यावरण को
शुद्ध और स्वस्थ भारत बनाना है
अपनी वसुंधरा को हरा भरा बनाना है!
कुलदीप सिंह रुहेला
सहारनपुर उत्तर प्रदेश