मेरे पिता

कैसे लिखा जाए अब पिता की परिभाषा!!
वे ही तो हैं एक,
जो जीवन के घोर नैरास्यता में भी..
मन में भरते हैं ढ़ेर सारी आशा…

वे ही तो हैं मेरे..
हृदय के प्रति क्षण के प्रश्वास…
अनदेखी अनजानी राह में खुद चल के….
मन में भरते हैं अनेक विश्वास….

कभी दिखाते हैं ऑंखें तो ..
कभी फिर कितना शासन..
द्विधापूर्ण मुहूर्त में..
वे ही तो करते हैं…
हर समस्या का समाधान..

नव आशा और नव आकांक्षा का जो करते हैं सृजन..
कभी अगाढ़ वात्सल्य और स्नेह के पूरक तो..
करते हैं फिर कितने दंड के विधान …

आकाश सा विशाल जिनका है हृदय..
सब छोड़ दें साथ पर..
वे हाथ थामे खड़े रहते हैं..
सामना करना पड़े चाहे..
कितना भी पराजय..

समंदर सा गहरा..
जिनका है भाव विचार …..
कभी गुलाब की पंखुड़ी से कोमल..
तो कभी पहाड़ का चट्टान सा कठोर है उनका प्यार…

वर्णनातीत है जिनका स्नेह का भूगोल..
वे देते हैं शांति का उपहार..
भले ही उनका जीवन..
खुद ही हो कितना भी बेडौल ….

स्वयं के निद्रा की आहुति दे..
करते हैं वे मेरे..
सारे सपने को पुरण..
कर्ममय संसार में वे लेते नहीं..
एक पल के लिए भी विराम..

मर्त्य में जो देते हैं…
स्वर्ग का आभास..
वे ही तो हैं देवसम पिता मेरे..
अमृततुल्य आशीष है उनका..
मेरे जीवन का आधार… ।

नाम : पूजा राय
पता – मालीबारी, बड़बाजार, समलेश्वरी मंदिर के पास , संबलपुर

1 Comment

  1. Anju

    Bahut hi achhi kabita hai 😍😍😍
    Padh k Maan mugdha ho gaya…

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