उसने पूछा मोहब्बत है या ज़रूरत , मैंने गले लगा कर कहा , आदत ।
उसने पूछा इश्क़ की क्या है असलियत , मैंने गले लगा कर कहा , ये है इंसानों की
फ़ितरत ।
उसने पूछा क्या वासना ही तो प्यार की सच्चाई नहीं है , मैंने कहा नहीं , प्यार तो है एक पूजा , एक इबादत ।
उसने पूछा प्रेम के माने क्या हैं , मैंने कहा प्रेम के माने हैं , ज़िंदगी भर एक दूसरे के साथ जीने की हसरत ।
उसने पूछा क्या प्यार बनावटी हो सकता है , मैंने कहा , कभी नहीं , प्यार तो है एक ख़ुशनुमा हक़ीक़त ।
उसने पूछा क्या प्यार में बेवफ़ाई भी होती है , मैंने कहा ऐसा वो ही करते हैं , जिनके दिल ओ दिमाग़ में छाई होती है हैवानियत ।
उसने पूछा क्या प्यार में मौज मस्ती भी होती है , मैंने कहा इस के लिए करनी पड़ती है शरारत ।
उसने पूछा प्रेम कैसे हो जाता है , मैंने कहा इसके लिए अहसासे इश्क़ देता है दो दिलों को दावत ।
उसने पूछा कि क्या प्रेम में सिक्कों की झनकार की है कोई अहमियत , कोई क़ीमत, मैंने कहा नहीं , प्यार ख़ुद में ही एक ख़ज़ाना है , है बेशक़ीमत ।
उसने पूछा अगर शिद्दत से प्यार करो तो क्या जिंदगानियों में फ़र्क़ पड़ जाता है , मैंने कहा दो दिल फिर बन जाते हैं एक दूसरे की मलकियत ।
उसने पूछा कि आख़िर प्यार का जज़्बा इस धरती पर उभरा कैसे , मैंने कहा ये जज़्बा है इस दुनिया को तोहफ़े में दी हुई उस रब की इनायत ।
उसने पूछा कि क्या प्यार में इंसान अपने आप को भी भूल जाता है , मैंने कहा हाँ , प्यार में बन जाती है रुहानी हैसियत ।
उसने पूछा क्या मर कर भी प्यार ज़िंदा रहता है , मैंने कहा हाँ , सच्चे प्रेमी एक दूसरे के नाम लिख देते है जिंदगानियाँ , जब लिखते हैं अपनी वसीयत !!
लेखक———निरेन कुमार सचदेवा।
Love completes ones life !!
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