“यही है हरेक की ज़िन्दगी की कहानी-“निरेन कुमार सचदेवा”

सुख दुःख तो अथिति हैं , बारी बारी से आएँगे , चले जाएँगे , यदि ये नहीं आएँगे तो हम अनुभव कहाँ से लाएँगे ?
सुख दुःख का अनुभव यक़ीनन अनुभवी बना देता है हम सब को , इस अनुभव से जीवन को और बेहतर बनाने का अदभुत ज्ञान हम पाएँगे ।
आभारी हूँ उन किसानों का जो दिन भर कड़कती धूप में खेतों में काम करते हैं , अगर ये ऐसी मेहनत नहीं करेंगे तो हम खाना कैसे खाएँगे ?
मैं एक हँसी ख़ुशी का अनोखा अनुभव करना चाहता हूँ , आज जिस से हम मिलेंगे उसे ख़ूब हँसाएँगे ।
दुख सुख का अहसास इंसान को फ़ौलाद बना देता है , दिल पक्का कर देता है ,
क्यूँकि ये सब अहसास हमारे दिल में समाएँगे ।
कुछ भी हो खुदा , तू कभी हम से ना रूठना , माफ़ कर देना हमारी ग़लतियों को , अगर रब हम से रूठ गया तो फिर उसे कैसे मनाएँगे ?
चलो आज किसी जरूरतमंद की मदद करते हैं ,लोग वाह वाही ना करें तो सही , हम तो अपने आप पर फिर इतराएँगे ।
हिंदुस्तानियों की आदत है कि वो सब मेहमानों का सत्कार करते हैं , तो ये सुख दुःख जो हमारे अतिथि हैं , हम इन्हें भी तहे दिल से अपनायेंगे ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा।

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