तीस वर्ष का ज्योतिपुंज था।
ज्ञान पुष्प का सुरभि कुंज था,
मस्तक पर थी आरुणि में रेखा।
चकित रह गया जिसे देखा।।
शब्द सुदर्शन धारी था वो।
देवदूत अवतारी था वो
यह पंक्तियां सटीक वर्णन करती है स्वामी विवेकानंद के चरित्र की उनके प्रसिद्ध नारा था उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाए ।
साहित्य दर्शन और इतिहास की प्रकांड विद्वान स्वामी विवेकानंद की इन विचारों ने न जाने कितने लोगों की आत्म जीवन को शक्ति और आत्मविश्वास से भर दिया , विवेकानंद 1893 को अमेरिका के शिकागो में “विश्व धर्म संसद” में हिंदू धर्म की प्रथा का लहरा कर भारत लौटे , जब उन्होंने अमेरिका में आयोजित हुए “विश्व धर्म संसद” में हर दिल को जीत लिया था !
उनके भाषणों के बाद 2 मिनट तक “आर्ट इंस्टीट्यूट आफ शिकागो ,, तालियों के मधुर आवाज से गूंजता रहा स्वामी विवेकानंद के व्यक्तित्व और विचारों ने न सिर्फ भारतीयों को बल्कि विदेशियों को भी प्रेरित किया था भगिनी निवेदिता (सिस्टर निवेदिता) उनमें से ही एक नाम है जिन्होंने आजीवन विवेकानंद के विचारों का प्रचार – प्रसार किया
शून्य सार्थकता पर मंथन कर !
शिकागो में पाठ पढ़ाया था ,
युवा में वायुसा वेग बहाकर
जिन्होंने भारत का प्रथम लहराया था !
उस एकतत्व का आज मैं
तुमको इतिहास बताने आया हूं ।
हे भारत के वीर पुत्रों मै
तुम्हें आज जगाने आया हूं ।।
छाकर तुम अब आसमान में
रवि सा यूं प्रकाश करो।
देश को नई ऊर्जा देकर
उन्नति अब ललाट करो ।।
फूलों सी तुम महक उड़ाकर
मेहनत का आगाज करों।
नई क्रांति की ज्वाला देकर
अब फिर से तुम प्रयास करो।
निज गौरव को लेकर तुम
भू – पर अमृत निर्माण करों।
पर हार नहीं लेकर के तुम
विजयो का मां को हार करों।।
मैं एक बार फिर राष्ट्रीय युवा दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं देते हुए अपनी रचना को समाप्त करता हूं
पहले हर अच्छी बात का मजाक बनता है फिर विरोध होता है और फिर उसे स्वीकार लिया जाता है
धन्यवाद
ईशु कुमार सिंह “उपदेश “
पिता:-श्री रविन्द्र प्रसाद सिंह
ग्राम+पोस्ट:-करजान
थाना+प्रखंड:-अथमलगोला
जिला :-पटना (बिहार)
पिन कोड:-803211
Waah bhaut bhaut khoob 👌👌✍️✍️