
कितनी लाचार सी ख़्वाहिशें रहीं होंगी उस यतीम की ,जिसने अपनी साँसें भी बेच दीं भर कर ग़ुब्बारों में ।
ये लाचारी , ग़रीबी एक ऐसी नामुराद चीज़ है , रह जाते हैं सारे ख़्वाब उजागर हो कर सिर्फ़ इशारों में ।
अफ़सोस यह कि इन ग़रीबों के दिल तो शायद पिघल जाएँ , अमीरों के दिल कभी नहीं पिघलते , होते हैं मज़बूत दीवारों से ।
हर चीज़ के लिए दुनिया मैं पैसा ज़रूरी है , शायद ये ग़रीब लीग समुन्दर के अंदर जा कर तो लहरों का मज़ा नहीं उठा पाते , शायद ये लुत्फ़ ले लेते है सिर्फ़ किनारों पे ।
मोहताजी , बेबसी , किसी दुश्मन को भी ना हो , ये राख कर देते हैं इंसान के अस्तित्व को , कर देते हैं जीना मुश्किल ।
और कमाना कौन सा आसान है आज की दुनिया , सारा दिन मेहनत करने के बाद भी इन ग़रीबों को क्या होता है हासिल ?
शायद इतना भी नहीं कि ये ढंग से अपनी भूख मिटा पायें , ख़ुद खा सकें , बच्चों को कुछ खिला पायें ।
क्या बताएँ , ये ग़रीबी , ये अमीरी , सब रब के ही देन है , वो बेहतर जानता है , सब कर्मों का फल है , इंसान तो यही मानता है ।
कितना दिल टूटता होगा जब छोटी छोटी ख़्वाहिशें दम तोड़ती होंगी चंद सिक्कों के कारण ।
चलो हम दुआ तो कर सकते हैं , ईश्वर ही करे इन ग़रीबों के दुखों का निवारण ।
कुछ और भी कर सकते हैं हम , कुछ पैसे और ख़ुशी बाँट सकते हैं इन ग़रीबों में , बाक़ी इन को सहना तो पड़ेगा ही , जो लिखा है इनके नसीबों में ।
मजबूरी की इंतहा है ये कि छोटे छोटे बच्चों को भी काम करना पड़ता है , ताकि वो खा सकें दो निवाले।
या खुदा तू ही रहम कर , तेरे सिवा कौन है जो इस कायनात को सम्भाले ?
हे ईश्वर तू इंसानी दिलों मैं भर दे रहम , ऐसा कर कि हर इंसान का दिल हो जाए मोम जैसा नरम ।
और मदद का जज़्बा भी सब दिलों में भर दे , तो फिर इंसान काम आ सकें इन जरूरतमंदों के ।
चाहतें और हसरतें तो सब की एक सी ही होती हैं , इसीलिए प्यार मोहब्बत और दरियादिली से पेश आना चाहिए इन लाचार बन्दों से।
Be noble 👸 and humane always my dears .
लेखक——-निरेन कुमार सचदेवा।