शिव भोला बना दुल्हा है !
नंदी की कर सवारी ,,
बारात में भुतों का रैला है !
अपनी गौरा को ब्याहने चला हैं !
अद्भुत रुप शिव का निराला है !
त्रिपुरारी वो तो धुनी रमाने वाला है !
अवधुत है वो तो कालों का काल महाकाल हैं !
जटा में बहती गंगा जिसके
वो जटाशंकर का रुप बड़ा प्यारा है !
राम करते जिसकी स्थापना वो रामेश्वर बड़ा न्यारा है !
पर्वत में जो लेता आकार वो ऊॅं कारेश्वर बड़ा मतवाला हैं !
नर्मदा की धारा से लेता रुप ,,
वो नर्मदेश्वर सबका साहरा है !
अमरनाथ गुफा में लेता बर्फ से आकार !
वो बर्फानी बाबा सबके कष्टों को हरता है !
करुं विनती मैं तो बाबा केदारनाथ से ,,
पकड़ लो हाथ मेरा रास्ता बड़ा कठिनाईयों वाला हैं !
बम -बम भोले मेरा डमरू वाला हैं !
मृगछाला पहनता वो तो मस्तक पर चन्द्रमा धारण करता हैं !
कानों में पहनें बिछुआ,,
पैरों में कड़ा पहनता हैं !
हाथों में पकड़े त्रिशूल वो तो ,,
ह्रदय में सबके प्रति प्रेम ओर करुणा अपार रखता हैं !
रक्षक है वो तो सबका !
बड़ा भोला है वो तो जरा से में ही मान जाता हैं !
भक्ति में लीन मैं तो ज्ञानेश्वर महादेव की जो ज्ञान के चक्षु खोल देता है !
जल चढ़ाता मैं तो सिर्फ,,
ओर वो अपना वरद हस्त मुझ पर रख देता हैं !
भोला भंडारी है वो तो भंडार सबके भर देता हैं !
चला है अपनी गौरा को ब्याहने ,,
अपनी मस्ती में देखों कैसा झुमता है !
तकती राह निहार ,,कर गौरी सोलह श्रृंगार!
आयेंगे कब ह्रदय में बड़ी व्याकुलता हैं !
शिव -शक्ति का होगा मिलन आज !
चारों लोकों में बड़ी प्रशन्नता हैं !
चलों हम भी चलें भोले की बारात में !
कितना शुभ अवसर है ये !
आज शिवरात्रि का जगराता है !!
राजमाला आर्या ✍🏻
खंडवा मध्यप्रदेश से