
चन्द्र है ललाट पर,शीश गंगा धार है।
सर्प माल कंठ में महिमा अपार है।
पार्वती गौरा के प्राण वल्लभ शिव हैं
सफल दाम्पत्य के प्रेमाधार शिव हैं।
कुमार और गणेश के पिताश्री पूज्य हैं
नीलकंठ महादेव कालों के काल हैं ।
हाथ में त्रिशूल और डम डम है,सोहता
पास में हैं नंदीश्वर,जो प्रिय सवार हैं।
आशुतोष शिव जी,खुश होते शीघ्र ही
यदि कुचाल जो चले,प्राण लेते शीघ्र ही
देते वर शीघ्र ही यम नियम से जो चले
नित्य इनके पूजन से मनचाहा फल मिले
आज शिवरात्रि पर उनका पूजन करो
नमः शिवाय भोले का तुम जप करो
पार्वती गौरा कहें शिव औघड़ दानी हैं
भभूत अंग में लपेटे ये बड़े वरदानी हैं
इनकी कृपा से धन धान्य यश मिले
जग का कल्याण करें मैंने वर मांगी है।
पार्वती देवी “गौरा “
देवरिया