सजल-“भीम सिंह नेगी,”

समांत : अने
पदांत : लगा है
मात्रा भार 20

धुएं से यह घर जो भरने लगा है ।
कुछ तो आज घर का जलने लगा है ।।

इस तरह नहीं लगती आग कहीं भी ।
हरकत गलत कोई करने लगा है ।।

हम तो नहीं चाहते बुरा किसी का ।
पर कोई बेवजह मरने लगा है ।।

देखकर हमारी वेबशी आजकल ।
पड़ोसी भी रंग बदलने लगा है ।।

भीम सुबह कटी जो दुख में हमारी ।
शाम भी बैसे ही ढलने लगा है ।।

भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।

समांतक : भरने, जलने, करने, मरने, बदलने, ढलने

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