समांत : अने
पदांत : लगा है
मात्रा भार 20
धुएं से यह घर जो भरने लगा है ।
कुछ तो आज घर का जलने लगा है ।।
इस तरह नहीं लगती आग कहीं भी ।
हरकत गलत कोई करने लगा है ।।
हम तो नहीं चाहते बुरा किसी का ।
पर कोई बेवजह मरने लगा है ।।
देखकर हमारी वेबशी आजकल ।
पड़ोसी भी रंग बदलने लगा है ।।
भीम सुबह कटी जो दुख में हमारी ।
शाम भी बैसे ही ढलने लगा है ।।
भीम सिंह नेगी, गाँव देहरा हटवाड़, जिला बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश।
समांतक : भरने, जलने, करने, मरने, बदलने, ढलने