सीधा सदा जीवन व्यतीत करें-“निरेन कुमार सचदेवा”

इंसान को कभी अपने वक़्त पर घमण्ड नहीं करना चाहिए , ज़िंदगी है साहेब , छोड़ कर चली जाएगी , मेज़ पर होगी तस्वीर , कुर्सी रह जाएगी ख़ाली ।
तो पर पल ख़ुशी मनाओ , प्यार मोहब्बत बाँटो , ऐसे जियो कि जैसे हर दिन हो दिवाली ।
दीये जलाएँ प्यार के , लौ बुने मोहब्बत से , ऐसी ख़ुशहाल ख़ुशनुमा ज़िंदगी मिलती है बहुत क़िस्मत से ।
किसी को महरूम ना रखो ख़ुशियों के उजालों से , प्रेम रस छलकने दो सभी प्यालों से ।
क्या मिलेगा अहंकार कर के , क्या बन जाओगे बहुत महान , ग़लत सोचते हो , फिर बन जाओगे एक गुनहगार इंसान ।
घमण्ड भी एक तरह का पाप है , दुष्कर्म है , लगेंगी बहुत बददुआएँ , बहुत दुश्मन बन जाएँगे , ये बात आप को हम कैसे समझाएँ ?
एक ना एक दिन मृत्यु को गले लगाना पड़ेगा , इस संसार को छोड़ के जाना पड़ेगा।
यमदूत किसी तो नहीं बख्शेगा , यही विधाता ने उस को दिया है आदेश , लेकिन उसी विधाता ने भेजा है प्यार का संदेश ।
सिकंदर ख़ाली हाथ गया था इस दुनिया से , तो फिर तुम्हारी क्या औक़ात है , मरने के बाद ना कोई रईस होता है ना फ़क़ीर , सब की एक ही जात है ।
कुछ ऐसा कर जाओ कि तुम्हारी तस्वीर को भी लोग दें इज़्ज़त और मान , सब यही कहें बहुत नेक था ये इंसान ।
ये ज़िंदगी का चक्रव्यूह जो उस ईश्वर ने बनाया है,तो उसी ईश्वर ने दिलों में प्यार का जज़्बा भी जगाया है ।
ग़ुरूर ,अहंकार , घमण्ड , अह काश कि इन शब्दों का हम मिटा पायें अस्तित्व , फिर किसी की भी ज़िंदगी में , नहीं रहेगा कोई इन शब्दों का कोई महत्व ।
एक सीधा सादा जीवन , जहाँ प्यार से तृप्त हो मन ,सिर्फ़ इतनी ही ज़रूरत है , कुछ अच्छा कर पायें , भला करें किसी का , बस यही हसरत है ।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा

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