सूरज की रोशनी से नहाया सा है!-“राजमाला आर्या”

सूरज की रोशनी से नहाया सा है!
चिर निद्रा मे सोया था जो बरसों से समाज मेरा!
आज जागा- जागा सा है!
हर जगह जयकारे जय श्री राम के गुंज रहे है!
बरसों बाद हर एक व्यक्ति के अंतर्मन मे राम बसा सा है!
रामायण पढ़ना आज सार्थक हुआ है!
राम है अस्तित्व हमारा जन मानस को आज भान हुआ है!
अयोध्या मे कर विराजित पुनः राम को!
अपने अंदर के राम को आज जगाया है!
जागा है आज हर एक हिन्दू ,साथ ही अपने स्वाभिमान को जगाया है!
राम के रंग मे रंगा ध्वज मेरा आज भगवा कहलाया है!
मनसुबे पर फिरा पानी विरोधियों के अब तो!
राम भक्त अपनी विजय पर इठलाया है!
हर ना पायेगा रावण कोई भी अब किसी भी सीता को!
आज करने संहार रावण का जन -जन मे राम समाया है!
भ्रष्ट होते तंत्र को देखों फिर आकर राम ने ही बचाया है!
अयोध्या मे वापसी राम की करके हमने हर घर को उसका राम लौटाया है!
मर्यादा पुरुषोत्तम राम !आदर्श हमारे समाज का है!
रोते माता -पिता को वृद्धाश्रमों से सम्मान से बन राम अब घर लाना है !
हताश निराश दशरथ को जीताना है!
मंथरा जैसी सलाहकार ओर कैकयी मांगों को !
अब राम- राज्य से हटाना है!
बहुत काट लिया वनवास राम ने !
अब ह्रदय के हर सिहांसन पर अपने राम को हमे बैठाना है!
विश्व गुरु भारत का परचम फिर से फहराना है!
पांच सौ बरसों की प्रतिक्षा अब समाप्ति पर है!
अयोध्या मे होगें विराजित पुनः राम मेरे!
बिछा पलक -पावड़े हर नैन प्रतिक्षरत है !
सूरज की रोशनी से नहाया सा है!
चिर निद्रा में बरसों से सोया था समाज मेरा !
आज जागा- जागा सा है!!
राजमाला आर्या✍🏻
खंडवा मध्यप्रदेश से

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