
चेहरे पर झुर्रियाँ हैं लेकिन आँखों चमक है ।
ज़िंदगी में खुशियाँ हैं दिखती कितनी दमक है ।।
मुँह में दाँत नहीं, न सही, बत्तीसी बनवा ली है ।
देखने के लिए आँखों को ऐनक पहना दी है ।।
उम्र भले अधिक हो गई है लेकिन दिल जवान है ।
शृंगार करके रहने के आज भी मेरे अरमान हैं ।।
बालों में सफेदी आ गई है लेकिन शोख अदाएँ हैं ।
पतिदेव के इंतजार में बैठी रहती पलकें बिछाएँ हैं ।।
लाली पाउडर तो न लगाती अब सिर्फ बिंदी भाती है ।
पिया जी को माथे की बिंदी ही करीब खींच लाती है ।।
चेहरे पर गंभीरता आ गई लेकिन मन बेहद चंचल है ।
सत्तर की उम्र में फिर से यौवन जीने के मिले पल हैं ।।
सोने चाँदी के ज़ेवर न सुहाते बस गले में मंगलसूत्र है ।
अपने पति की लम्बी उम्र को बाँध लेने का ही यह सूत्र है ।।
धन्यवाद
©® विकास अग्रवाल “बिंदल” , भोपाल