हँसें और मुस्कुराएँ और ख़ुशनुमा ज़िन्दगी बिताएँ-“निरेन कुमार सचदेवा”

बाँटो, बढ़ती रहेगी~~~एक मुस्कुराहट, दूसरी दुआ—-
सोचो तो दुआ भी है एक रामबाण इलाज, एक दवा।
मुस्कुराहटों की आहटों से बढ़ती हैं ज़िंदगानियों में सज़ावटें।
और फिर कुछ ज़्यादा रंगीन और खूबसूरत हो जाती हैं चेहरे की बनावटें।
दृढ़ निश्चय हो तो फिर कोई भी नहीं डाल सकता इस में रुकावटें।
तो हँसते रहें , मुस्कुरातें रहें, ज़िंदगानियों को खुशहाल बनाते रहें ।
ख़ुशियों की माला बनायें, और उन्हें पहन कर , ज़िंदगानियों को सजाते रहें ।
दुआ में है एक अजीब ओ गरीब शक्ति , दुआ में छिपी होती है एक निष्ठा, एक भक्ति ।
एक तरफ़ मुस्कुराहट , दूसरी तरफ़ दुआ, ऐसा तालमेल हो तो ——- फिर क़ानों में हमेशा गूँजती है महज़ प्रेम प्रीत की सदा।
मुस्कुराने की डाल लीजिए आदत, इस अहसास को बना लीजिए अपनी फ़ितरत।
फिर आपकी ज़िंदगी भी हो जाएगी बेशक़ीमती——-हर स्थिति में फिर आप जीत का करेंगे अनुभव।
देखिए, ख़ुद बख़ुद कितना ऊँचा हो गया है आपका अस्तित्व।
कहते हैं कि सच्चे दिल से माँगी हुई दुआ हमेशा हो जाती है क़ुबूल।
तो दुआ माँगने को बना लीजिए अपना उसूल।
मुस्कुराने की अदा को बना लीजिए एक जुनून, फिर आपके चरण छुएँगे सब क़ायदे और क़ानून।
मुस्कुराने की डाल लीजिए लत, फिर मुक़म्नल हो जाएगी आपकी हर हसरत।
खूब बाँटिये मुस्कुराहटें, फिर आपको भी मिलेगी बहुत सांत्वना।
पूरे विश्व में हँसी हो , ख़ुशी हो , सभी इंसान मददगार हों, नेक़दिल हों, यही है मेरी ख्वाहिश, मेरी कामना।
लेखक——निरेन कुमार सचदेवा

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *