
तन की सुध_बुध किसे भला
मन रंग लिया है होली में
रोम_रोम पुलकित हुआ है
मेरे संग पीया है होली में।
चाहत का नशा सिर चढ़ने लगा
जबसे भंग पिया है होली में।
अब होने लगी अरमाने जवां
हाल पतंग हुआ है होली में।
खिले महुआ,टेसू, गुलनार,पलाश
देख मन मतंग हुआ है होली में
रजनी प्रभा