मुंशी प्रेमचंद-आरती तिवारी सनत

मुंशी प्रेमचंद-आरती तिवारी सनत

संघर्षों से जीवन शुरू हुआसंघर्ष ही जीवन भर रहा..आत्मविश्वास से भरा साहित्यकार..उपन्यास कहानीकार निबंधकारगबन गोदान निर्मला कर्मभूमि सेवासदन..बूढ़ी…
ग़ज़ल – बृजमोहन

ग़ज़ल – बृजमोहन

जितने  सच्चे हैं  हम लोग ।उतने  झूठे  हैं हम  लोग ।। मेरा    तेरा    करने  में ।कितना…
कलयुग

कलयुग

सतयुग,द्वापर,त्रेता,कलयुग,सबका केवल एक विधान।चक्र चले चाहे जैसा भी,स्त्री का केवल अपमान। राजा,महर्षि,गुरु,सखा,चाहे सत्ता पर हो प्रधान।चीर हरण तो…
क्यों लाज नहीं आई तुम्हे ? – विजय कुमारी सहगल

क्यों लाज नहीं आई तुम्हे ? – विजय कुमारी सहगल

क्यों लाज नहीं आईतुम्हें? एक धर्म को दूसरे धर्म से लड़ाते हुएक्यों लाज नहीं आई तुम्हें? एक जाति को दूसरी जाति से लड़ाते हुएक्यों लाज…