ज्ञान और समृद्धि की माता ब्रह्मचारिणी-“सत्येन्द्र कुमार पाठक”

सत्येसनातन धर्म की शाक्त सम्प्रदाय के विभिन्न ग्रंथों के अनुसार माता ब्रह्मचारिणी का महत्वपूर्ण स्थान है । हिम…

आंखें-“प्रतिभा जैन”

ये आंखें तुमसे प्यार कर बैठी,न जाने क्यों गंगा बना बैठी।बिना जाने ही तुम पर,एतबार कर बैठी।तुमने मुड…

भाई-“प्रतिभा जैन”

बरसों बाद खुशियों का दीदार हुआ,फिर भी मुसीबतों का ढेर नहीं हुआ।खुदा से शिकायत क्या करूं,अपनो का साथ…

एक दृष्टि-“बृजेंद्र।”

सुख शांति समृद्धि चाहिएतो सुदृढ़ करो ताना बाना।हो पड़ोसी हितकर अपनाबजता बहीं आनन्द तराना।। भारत इस सुविधा से…