” मेरी माँ “

” मेरी माँ “

आंचल मेरी माँ का, पावन पुनीत मनोरम।याद आता नित्य मुझे, माँ का लाड दुलार अनुपम।निस्वार्थ भाव से सेवा…
सजल

सजल

जीवन भर खटते ही रहना, कैसी उद्यमता है माँ की।सबको सुख दे, दुख ही पाना, अनिवार्य विषमता है…
सजल

सजल

हम न होंगे कभी, तब चलेगा पता।आदमी तो गया, रह ग‌ए देवता।। मौन निर्जीव सब, मूर्तियों-से खड़े।अब न…