अजब है ये शोभा बृंदावन की,,
हरे सारी पीड़ा तन और मन की,,
यहां सिर्फ चितचोर,रणछोड़ कान्हा,,
यहां न कोई श्री कृष्णा महान,,
तेरी मुरली के तान लेते हैं प्राण,,
निधिवन में रास रचाते कन्हैया,,
चोटी बनाती यशोदा है मईया,,
पग के घुंघरू ग्वालों की धड़कन,,
जहां पग धरे वो ही तीर्थ स्थान,,
तेरी मुरली की तान लेते हैं प्राण,,
वो यमुना की धारा, वो कदंब की डाली,,
चूड़ाते चित को बनाते दीवानी,
बढ़ाया है मान गोवर्धन का,,
दिखाते है मार्ग भगवत भजन का,,
यहां कृष्णा_सुदामा हैं एक समान,,
तेरी मुरली के तान लेते हैं प्राण,,
मेरे मन में आके भी बस जा कन्हैया,,
तार दे भंवर से बन जा खेवईया,, डोल रही जिंदगी है आया तूफान,,
उबारो जगत से दे कर के ज्ञान,,
तेरी मुरली के तान लेते हैं प्राण,,