हे गणपति नंदन शिवा , मेरे प्रिये गणेश ।
प्रथम पूज्य हैं आप ही , कहते पुत्र महेश ।।
हे गजानन आप सदा , प्रथम पूज्य निर्विघ्न ।
कार्तिक को भी मान्य है , रहें न कभी कृतघ्न ।।
सुनना गणपति वंदना , हाथ जोड़ कर आप ।
सदा शीश झुककर रहे , हे गणनायक जाप ।।

प्रतिभा प्रसाद कुमकुम