“मै और मेरी रशियन मित्र” (मित्रता दिवस विशेष) – सुजीत जायसवाल ‘जीत’

“मै और मेरी रशियन मित्र” (मित्रता दिवस विशेष) – सुजीत जायसवाल ‘जीत’

भ्रमण को  मुझको  शौक बड़ा गया था  हरिद्वार,मसूरी
रशियन  के संग  हो छवि मेरी, इच्छा  हो गई  तब पूरी
अंदाज निराला था उसका गिरधर के  भक्ति का चोला
स्वर्णिम केश,मृदु  मुस्कान,माथ  शोभित  बिंदी सिंदूरी

आग्रह  मेरा  स्वीकार   किया   मेरे  नजदीक  वो  आई
मेरे  तन  को स्पर्श  किया प्रेम की बजने लगी  शहनाई
श्रीकृष्ण  की  थी  वो  दीवानी अध्यात्म  के रस में डूबी
उसके  मन  के  भावों को  सुन, निज  जज़्बात  छुपाई

     सुजीत जायसवाल ‘जीत’
      सराय अकिल कौशाम्बी
              प्रयागराज
     (व्यापारी एवं युवा कवि)
      राष्ट्रीय सचिव “युवा मंच”

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