मरुथल मरुथल खुशबू बोई,
बंजर बंजर फूल खिलाए।
हम उल्फत थे हमने पंकज
दुनिया भर के दिल महकाए,,
कई ख्वाब थे पास में जिनके,
आंखों का आकाश नही था।
कितनी आंखें ऐसी भी थी
सपना जिनके पास नहीं था,
हमने ऐसे ख्वाब बटोरे,
प्यासी आंखों में रख आए।
हम उल्फत थे हमने पंकज
दुनिया भर के दिल महकाए।
हमने सूने सांसों के घर
खुशबू को मेहमान बनाया
हर मन के एकाकीपन में
मधुमासी त्योहार मनाया,
स्वर सरगम सा चहक रहा वो,
हम जिसको भी छूकर आए
हम उल्फत थे हमने पंकज
दुनिया भर के दिल महकाए।
हम कान्हा के अधर की मुरली
हम राधा के पांव की पायल
दुनिया भर की प्यासों पर हम
बनकर बरसे रिमझिम बादल,,
अधर हमारे छूकर गूंजे
गीत थे जितने भी अनगाये।
हम उल्फत थे हमने पंकज
दुनिया भर के दिल महकाए
पंकज अंगार