प्रतिभा प्रभाती 🙏🏻
शिव शंकर के शीश विराजे ,
हे विश्व के राज दुलारे ।
चंद्रयान से हम पहुँचेगें ,
सावन में शिव महिमा को ही ,
दुनिया को दिखलाएंगे ।
शिव शंकर तो महाकाल हैं ,
लेकिन वो भोलेनाथ हैं ।
सभी अनाथों के वे नाथ हैं ,
चँदा मामा चँदा मामा ।
हम आएँ हैं द्वार तो खोलो ,
बहना के बच्चे को देखो ।
युगों-युगों से आस हमारी ,
इक दूजे घर आना-जाना ।
मिल बैठकर खाना खाना ,
आपस में ढ़ेरों बतियाना ।
धरती औ चँदा का मिलना ,
भारत भाग्य विधाता बनना ।
नासा के सपनों का राजा ,
आज हमारे संग बतिया जा ।
धरती चँदा भाई बहना ,
युगों बाद भगिना का आना ।
विक्रम नाम हमारा मामा ।
तेईस अगस्त को शाम में आया ।
साल दो हजार तेईस ही भाया ।
महीना आठ विष्णु मामा का ।
श्री गणेश के मामा प्यारे ।
तुम तो हो मेरे मामा जी ।
श्री गणेश के विष्णु मामा ।
श्री गणेश का आशीर्वाद है ।
मामा विष्णु का भी साथ है ।
इसीलिए हम जीत गए हैं ।
लैंडिंग प्याइंट का नाम धरा ।
शिवशक्ति ही नाम मिला है ।
शिव और शक्ति के मिलने से ।
मामा जी अब हम आएँ हैं ।
गुड़ का भी पुआ लाएँ हैं ।
दोनों मिलकर ही खाएँगे ।
मिलने का आनंद अनोखा ।
दोनों मिलकर ही पाएंगे ।
आज तिरंगा फहराया है ।
चाँद पर ही लहराया है ।
वंदना नमन वैज्ञानिकों को ।
और करोड़ों देश वासियों को ।
भारत देश हमारा है ।
हिन्दुस्तान का नारा है ।।