कभी इस का दिल रखा कभी उसका दिल रखा

कभी इस का दिल रखा , कभी उसका दिल रखा , इस कश्मकश में भूल गए , ख़ुद का दिल कहाँ रखा ?
घर की जिम्मेदारियाँ , माँ बाप की देखभाल करने में , शायद कहीं खो गया है मेरा अपना अस्तित्व ।
घर में बीवी जो कहती है वो करता हूँ , ऑफ़िस में बॉस की सुनता हूँ , इन सब में क्या गुम हो गया है मेरा अपना व्यक्तित्व ?
अगर कुछ वक़्त अपने साथ गुज़ारता हूँ तो वो है सिर्फ़ सुबह का वक़्त , जब मैं जाता हूँ morning walk पर ।
Walk ख़त्म हुई तो फिर शुरू हो जाता है निस दिन बीवी का मधुर भाषण , फिर ध्यान देना पड़ता है , उसकी talk पर ।
इस ज़िंदगी के चक्रव्यूह में अपना आप भुला देता है आज का इंसान ।
सुबह शाम की भाग दौड़ में , कभी दो पल की फ़ुर्सत भी नहीं मिलती , हमेशा रहता है परेशान ।
आख़िरी बार अपने लिए कब कुछ मैंने ख़रीदा था , मुझे तो यह भी नहीं याद ।
हाँ Wedding Anniversary और बीवी बच्चों के Birthday कभी नहीं भूलता , अगर ग़लती से कभी भूल गया तो फिर घर में खड़ा हो जाएगा एक बड़ा फ़साद ।
ख़ैर ये ज़िम्मेदारियों निभाने में भी एक मज़ा है , मैं भी तो कभी बच्चा था , माँ बाप ने ख़ुद कई तकलीफे सह कर मुझे बड़ा किया ।
मुझे पढ़ाया लिखाया , कमाने के क़ाबिल बनाया , अपने पैरों पर खड़ा किया ।
पीढ़ी दर पीढ़ी यही चलता आया है , माँ बाप बनते ही हम अपना आप भूल जाते हैं ।
फिर वो ही पहनते हैं , वो ही खाते हैं , वहीं घूमने जाते हैं जहाँ बीवी बच्चे चाहते हैं ।
ख़ुद का दिल कहाँ रखा है , यह भी भूल चुका हूँ ,यक़ीन नहीं होता, यह वो ही दिल है क्या जो ज़ोर ज़ोर से धड़कता था जवानी में ?
वो पुराने ज़माने अच्छे थे , अजब जोश था तब ख़ून की रवानी में ।
कुछ साल पहले वो बग़ीचे में चक्कर लगाना , हसीनाओं के पीछे भागना , कुछ लड़कियाँ तो फूल तक दे जातीं थी निशानी में ।
हर बाशिंदे की यूँ ही बीत जाती जिंदगानी है ,यही सब का क़िस्सा है, यही सब की कहानी है ।
फ़रियाद है ये रब से कि सेहत ठीक रहे ,तंदूरसती रहे ।
रखें ख़याल बीवी बच्चों का , जिम्मेदारियाँ निभाएँ , लेकिन यारों के साथ भी कुछ पल गुज़ारें , तो फिर ज़िंदगी में कुछ मस्ती रहे।

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