मृत्यु है एक कड़वी सच्चाई |एक ना एक दिन तो आनी ही है |पर क्या मृत्यु से पहले अपने आपको क्षति पहुंचानी है |तनाव से ग्रस्त इंसान हर रोज है यहां झूझता |कभी अपनो से तो कभी गैरोसे है रोज मतभेद है करता |जीवन है बड़ा अनमोल मिलताकेवल एक बार है |इस शरीर को क्षति पहुँचाकर जोसोचता तनाव से है मिलता यहांछुटकारा |पर मानव है यह भूल जाता |जितनी आयु लिखी जीवन की उतनी आयु पूर्ण करनी है जीवन की |नाम- रजत त्यागी
