
दो अक्टूबर अवतरण दिवस ऐतिहासिक,
राष्ट्रपिता जिनको बापू कहकर बुलाते,
सत्य अहिंसा का पाठ पढ़ाया,
देश को आजाद कराया।
दुबली पतली काया उनकी,
खादी का एक वस्त्र तन पर,
एक हाथ में लाठी,एक हाथ में गीता,
ऑंखों पर चश्मा हमारे महात्मा गांधी की पहचान।
सत्य अहिंसा के पुजारी का ध्यान,
उनको हम करते बारम्बार प्रणाम ।
उनकी शिक्षा उनका बलिदान न भूलें,
राष्ट्र पिता महात्मा को बारम्बार प्रणाम ।
उनके आदर्शों पर हमें चलना,
रहे मन में अपने सद्विचार ।
कहते वह करो किसी से मत द्वेष,
प्रेम,दया, करुणा का संचार ।
दीनों में देखो भगवान,
उनकी सेवा का हो नित ध्यान ।
छूआछूत का भेद, चारित्रिक बल,
स्वालंबन, व्यवहारिक शिक्षा का नारा।
सहो किंतु मत अत्याचार,
उसका करो उचित प्रतिकार ।
लेकिन रहे अहिंसामय वह ,
सदा ध्यान इसका रखना है।
जो करता है पर उपकार,
पाता वही सत्य का द्वार।
(स्वरचित)
_ डॉ सुमन मेहरोत्रा
मुजफ्फरपुर, बिहार