
बंटवारे की पीड़ा
झेलता इंसान |
अपनो से है हर
रोज लड़ता इंसान |
सब कुछ होते हुये
भी |
सब कुछ की चाह
रखता है आज इंसान |
यह जानते हुये भी
इंसान अपने कर्मो
के अनुसार है पहचाना
जाता |
पर फिर भी है इंसान
अपने कर्मो को है
नजरअंदाज है करता |
बंटवारे की पीड़ा से
है सबको प्रताड़ित
है करता |
बंटवारे की पीड़ा से ही
परिवारो का पतन है
कराता |
सुख दुख में थे जो
हर पल साथ |
आज वही जीवित होते
हुये भी लाचार है बार |
नाम- रजत त्यागी
जिला – मुजफ्फरनगर
राज्य- उत्तरप्रदेश