
कार्तिक मास अमावस्या,
माॅं कालरात्रि का दर्शन,
रौद्र रूप माॅं है तेरा,
केश तुम्हारे बिखरे अम्बे,
गल में विद्युत सम माला,
तमस को दूर भगाती मइया,
नकारात्मक शक्तियों की संहारक,
श्वसन से अग्नि निकलती ।
दुष्ट विनाशक मइया,
सब सुखदायक।
माॅं कालरात्रि की भक्ति,
ज्ञान और वैराग्य प्रदान करे ,
गर्दभ वाहन है माॅं का
सब का कल्याण करे ।
दाहिनी भुजा उठा कर ऊपर
भक्तों को वरदान दे रहीं,
दाहिनी भुजा नीचे कर
अभय दान का रूप बना।
बायीं भुजा ऊपर है जो
उसमें शोभित लोहे का कांटा,
बायीं भुजा नीचे है खड्ग धरे,
भयावह व उग्र रूप में मइया,
भक्तों की कल्याणकारी,
अति शुभ फलदायक हैं।
डॉ सुमन मेहरोत्रा,
मुजफ्फरपुर, बिहार