एक दूसरे से अनजान-“राजेन्द्र ओझा”

पहले,
हाय – हलो हुई,
फिर हम दोनों बतियाये देर तक।

चाय पी,
नाश्ता किया,
सफर इतना लंबा था,
कि,
खाना भी खाया,
साथ – साथ।

कभी उसने पैसे दिए,
कभी मैंने,
इस लेन देन में,
हमने,
एक – दूजे के बटुए भी देखे,
जो,
एक जैसे ही भारी दिखे,
और हम,
बैठे रहे साथ-साथ।

न वो,
मुझे जानता था,
और न,
मैं उनको।

अब भी हम,
एक दूसरे को नहीं जानते,
वो अपने शहर में है,
मैं अपने,
अपने – अपने कामों में मशगूल।

ये,
किसी सफर का किस्सा है,बहुमंजिली इमारत का भी।

राजेन्द्र ओझा,
पहाड़ी तालाब के सामने,
बंजारी मंदिर के पास,
मोनिका मेडिकल के बाजू,
वामनराव लाखे वार्ड (66),
कुशालपुर,
रायपुर ( छत्तीसगढ़ )
492001

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