आरंभ है शिव, शिव ही हैं अंत, शिव सौम्य रूप, शिव ही प्रचंड, विज्ञ, प्रज्ञ, सर्वज्ञ सदाशिव, शून्य है शिव, शिव ही अनंत ।।
शिव नीलकंठ, शिव अविनाशी, शिव मधुर, सुकोमल, विषधारी, शिव काल रूप में महाकाल, शिव है त्रिपुंड, त्रिनेत्र और त्रिपुरारी ।।
सृष्टि शिवमय, संहार भी शिव, शिव से उपजा सब, शिव में विलीन, शिव ही तांडव, शिव ही लास्य, शिव ही मोह, और शिव ही मोक्ष ।।
शिव शांत रूप, शिव दयावान, शिव है भोले, शिव कृपानिधान, समाधिलीन शिव आशुतोष है, हैं प्रकाश तत्व, शिव ही प्रमाण ।।
तरुण बंदा
पंजाब, भारत