
समय कह रहा है
धर्मों में परम्पराओं में
कतर ब्योंत कर
हमें सुधार करना चाहिए।
फिर
संविधान में
कानून में
न्याय पद्धति में
काट छाँट कर
हमें सुधार करना चाहिए।
फिर
शिक्षा में स्वास्थ्य में
पर्यावरण में
योजनाओं में
आय व्यय की सीमा में
आमजन हितार्थ
हमें सुधार करना चाहिए।
फिर
विधवा की दशा में
वेश्या की दशा में
श्रमिक दशा में
अधिकाधिक चिंतन कर
हमें सुधार करना चाहिए।
आज
फैशन के चलन में
समाज पशु सा
नग्न हो रहा है
साँप के केंचुल सा वह
निज संस्कृति छोड़ रहा है
दनुज सा मद्यपान कर
निंदित कर्म कर रहा है
अतः
आदर्श समाज निर्माणार्थ
हमें इसमें सुधार करना चाहिए।
धर्मदेव सिंह
प. बंगाल