ब्रजखोरी में कन्हैया-“धर्मदेव सिंह”

ब्रज खोरी में
खेलने होली
आ गये हैं रे कन्हैया
जल्दी चलो रे सखि
खेलने उनके संग होली।

लिए हैं भरझोली रंग
पहने हुए हैं नव पीतांबर
आतुर हो वे
ढूँढ रहे हमसबको खोरी खोरी
अरे बड़े भाग्य से आये हैं
वे खेलने हमारे संग होली।

बाँसुरी बजा बजा
वे बुला रहे हमें
रंग भर भर पिचकारी में
जल्दी पहुँचे हमसब ब्रज खोरी
बड़े भाग्य से आये हैं
वे खेलने हमारे संग होली।

करो राधा को खबर कि
ब्रजखोरी में
आये हैं कन्हैया
खेलने होली
जल्दी रंग पिचकारी ले
चले हमसबके संग
खेलने उनसे होली।

धर्मदेव सिंह

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