अधूरी पंक्ति को संवार दे-
गूंज रही है सकल दिशाएं
गूंज रही है सकल दिशाएं,
आओ खुशी से गीत गाए,
देश के उन वीरों को सलाम,
जो चांद पर झंडा लहराए।
भारत को फिर महान बनाया,
असंभव काम करके दिखाया,
चांद पर जाकर के उन वीरों ने,
भारत को फिर विश्वगुरु बनाया।
गूंज रही है सकल दिशाएं,
खुशियों भरे दिन है आए,
वैज्ञानिक जब जान लगाए,
तभी हम चांद पर पहुंच पाए।
उदय झा
Nice poem
Nice