आज का गुरुमंत्र
मानव जीवन है इस जीवन में ऊँच-नीच होती ही रहती है। कुछ अवसर जीवन में निहाल कर देते हैं तो कुछ ऐसी ठोकर लगाते हैं कि सब कुछ खो देते हैं। पर जीवन में सोच सदा रखिए ऐसी कि जो खोया, उसका गम नहीं पर जो पाया वह किसी से कम नहीं।
हम देखते है प्रायः कि जीवन में कितने जन सही से मजबूत और सहनशील और नहीं सह सके व थोड़े से थपेड़ों की मार के आगे पस्त हो गये । इसलिये जरुरी है संतान के पालन-पोषण पर
उचित ध्यान देना पर साथ में उनको विपरीत परिस्थितियाँ को
सही से संभाल पाने का भी ज्ञान देना चाहिए ।क्योंकि उसके
बिना तो जीवन जीने की शिक्षा अधूरी हैं । जीवन में ऊँच-नीच व संभाल पाने की सीख भी जरुरी है । ऊँच-नीच तो जीवन के दो पलड़े हैं। समय-समय पर ऊँचे-नीचे झूलते ही रहते हैं। पर आशावादी अँधेरे में भी प्रकाश की किरण देख ही लेते हैं। रात कितनी ही लम्बी हो सूर्य उदित अवश्य होगा ठीक इसी तरह मानव जीवन एक संघर्ष की गाथा है । संघर्ष करते मनुष्य के सामने अनेक संकट आते है और उनमें सफलता भी मिलती है । जो लोग डर कर संघर्ष करना छोड़ देते है तब संकट अधिक गहरा जाते है और उन पर विजय पाना कठिन हो जाता है ।अतः संकटों से घबराने की जरूरत नहीं उनसे निपटने का विचार दृढ़ संकल्पित करना चाहिए। वर्तमान ही हकीकत है जो उसके साथ सामंजस्य बिठा लेता है उसकी सोच की ही कीमत है।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़ )

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