अरमान (कविता)

अरमान (कविता)

होता है इस जहां में एहसास अपना अपना,,
पूरा हुआ तो हकीकत,टूट जाय  अगर तो सपना।

मुमकिन नहीं हो पूरा, ख्वाब अपने दिल का,
जो ले गया पराया,जो दे गया वो अपना।

हमनें भी देखे मंजर,ये बाग,ये समंदर,
कहते है सब यही बस,हर हाल में चलना।

वो आया दिल में, आकर वापस चला गया,
राहें मुहब्बत में शायद आसान नहीं था उसका रुकना।

हम आज भी वहीं है,इंतजार भी है,
मिल सको तो हमसे फिर एक बार
आके मिलना।

इन आंखों की तड़प को,दीदार तेरा होगा,
उमड़ेगा फिर लहूँ बन ये,सैलाब प्यार होगा जितना।

रजनी प्रभा

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